लेखनी कविता - बाल वर्ष - बालस्वरूप राही
बाल वर्ष / बालस्वरूप राही
नहीं चलेगी धौंस बड़ों की
है यह पूरा साल हमारा।
बड़े-बड़े जाते हैं पिक्चर,
हमे छोड़ जाते हैं घर पर,
चिंता नहीं किसी को इसकी
कहाँ सिनेमा- हॉल हमारा।
खेलकूद से रोका करते,
जब देखों तब टोका करते,
बात-बात पर कर देते हैं
कान खींच कर लाल हमारा !
बड़े हमे दिन भर दौड़ाते,
घर बाहर का काम का कराते।
काम बड़ा का मौज उड़ाना,
बाकी सब जंजाल हमारा !
अब आई है बार हमारी,
कसर निकालेंगे हम सारी,
कर न सकेगा दुनिया- भर में,
कोई बाँका बाल हमारा